Hot Posts

7/recent/ticker-posts

Chandrayaan 3 की आखिर क्या है कहानी ?

 

चंद्रयान-3 चांद पर खोजबीन करने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तैयार किया गया तीसरा चंद्र मिशन है। इसमें चंद्रयान-2 के समान एक लैंडर और एक रोवर है, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं है।

ये मिशन चंद्रयान-2 की अगली कड़ी है, क्योंकि पिछला मिशन सफलता पूर्वक चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद अंतिम समय में मार्गदर्शन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास में विफल हो गया था, सॉफ्ट लैन्डिंग का पुनः सफल प्रयास करने हेतु इस नए चंद्र मिशन को प्रस्तावित किया गया था। 

चंद्रयान-3 को लॉन्च सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शारश्रीहरिकोटा से 14 जुलाई, 2023 शुक्रवार को भारतीय समय अनुसार दोपहर 2:35 बजे हुआ था। यह यान चन्द्रमा की सतह पर 23 अगस्त 2023 को भारतीय समय अनुसार सायं 06:04 बजे के आसपास सफलतापूर्वक उतर चुका है।

 

इतिहास

चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की काबिलियत प्रदर्शित करने के लिए चंद्रयान कार्यक्रम के दूसरे चरण में, इसरो ने एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर से युक्त लॉन्च वाहन मार्क -3 (एलवीएम 3) नामक लॉन्च वाहन पर चंद्रयान-2 लॉन्च किया। प्रज्ञान रोवर को तैनात करने के लिए लैंडर को सितंबर, 2019 को चंद्र सतह पर टचडाउन करना था। 

इससे पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर एक मिशन पर जापान के साथ सहयोग के बारे में रिपोर्टें सामने आई थीं, जहां भारत लैंडर प्रदान करता जबकि जापान लॉन्चर और रोवर दोनों प्रदान करने वाला था। मिशन में साइट सैंपलिंग और चांद पर रात के समय सर्वाइव करने की टेक्नोलॉजी शामिल करने की भी संभावनाएं थीं। 

विक्रम लैंडर की बाद की विफलता के कारण 2025 के लिए जापान के साथ साझेदारी में प्रस्तावित चंद्र ध्रुवीय खोजबीन मिशन (LUPEX) के लिए आवश्यक लैंडिंग क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए एक और मिशन (चंद्रयान-3) करने का प्रस्ताव दिया गया। मिशन के महत्वपूर्ण फ्लाइट ऑपरेशन के दौरानयूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) द्वारा संचालित यूरोपीय अंतरिक्ष ट्रैकिंग (एस्ट्रैक) एक अनुबंध के अंतर्गत इस मिशन को सपोर्ट प्रदान करेगी। 

इस बार अगर चंद्रयान 3 मिशन में भारत को सफलता मिलती है तो भारत ऐसी उपलब्धि हासिल कर चुके अमेरिका, चीन, और पूर्व सोवियत संघ जैसे देशों के क्लब में शामिल हो जाएगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का तीसरा मून मिशन चंद्रयान श्रीहरिकोटा से लॉन्च हो चुका है। 14 जुलाई 2023 शुक्रवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2: 35 मिनट पर चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया।

 

उद्देश्य

इसरो ने चंद्रयान-3 मिशन के लिए तीन मुख्य उद्देश्य निर्धारित किए हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. लैंडर की चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित और सॉफ्ट लैंडिंग कराना।
  2. चंद्रमा पर रोवर की विचरण क्षमताओं का अवलोकन और प्रदर्शन।
  3. चंद्रमा की संरचना को बेहतर ढंग से समझने और उसके विज्ञान को अभ्यास में लाने के लिए चंद्रमा की सतह पर उपलब्ध रासायनिक और प्राकृतिक तत्वों, मिट्टी, पानी आदि पर वैज्ञानिक प्रयोग करना।

बनावट

चंद्रयान-3 एकीकृत मॉड्यूल का दृश्य चंद्रयान 3 के तीन प्रमुख हिस्से हैं - प्रोपल्शन मॉड्यूल, विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर

प्रोपल्शन मॉड्यूल

चंद्रयान 3 प्रोपल्शन मॉड्यूल, जिसका उपयोग रिले उपग्रह के रूप में किया जाएगा

प्रोपल्शन मॉड्यूल पर मौजूद स्पेक्ट्रो-पोलारीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लानेट अर्थ …

इसका प्रोपल्शन मॉड्यूल, संचार रिले उपग्रह की तरह व्यवहार करेगा। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर युक्त ढांचे को तब तक अंतरिक्ष में धकेलता रहेगा जब तक कि अंतरिक्ष यान 100 किमी ऊंचाई वाली चंद्र कक्षा में न पहुँच जाए। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर के अलावा, चंद्र कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय (स्पेक्ट्रल) और पोलारिमेट्रिक माप का अध्ययन करने के लिए स्पेक्ट्रो-पोलारीमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लानेट अर्थ (SHAPE) नामक एक पेलोड भी ले जा रहा है

 

लैंडर

चंद्रयान-2 के विक्रम के विपरीत, जिसमें पांच 800 न्यूटन इंजन थे और पांचवां एक निश्चित थ्रस्ट के साथ केंद्रीय रूप से लगाया गया था। चंद्रयान-3 के लैंडर में केवल चार थ्रॉटल-सक्षम इंजन होंगे,  इसके अतिरिक्त, चंद्रयान-3 लैंडर लेजर डॉपलर वेलोसीमीटर (एलडीवी) से लैस होगा। चंद्रयान-2 की तुलना में इम्पैक्ट लेग्स को मजबूत बनाया गया है और उपकरण की खराबी का सामना करने के लिए एक से अधिक उपाय किए गए हैं। लैंडर पर तापीय चालकता और तापमान को मापने के लिए चंद्रा सरफेस थर्मोफिज़िकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE, चेस्ट), लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीयता को मापने के लिए इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सेसमिक ऐक्टिविटी (ILSA) व प्लाज्मा घनत्व और इसकी विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए लेंगमुइर प्रोब (RAMBHA-LP) नामक भारतीय पेलोड शामिल हैं। इसके अतिरिक्त नासा से एक निष्क्रिय लेजर रिट्रोरिफ्लेक्टर ऐरे को चंद्र लेजर रेंजिंग अध्ययनों के लिए इसमें समायोजित किया गया है।

रोवर

प्रज्ञान 6 पहिये वाला लगभग 26 किलो वजनी एक रोवर है जो 500 मीटर की रेंज में कार्य करने की क्षमता रखता है। प्रज्ञान रोवर लैंडिंग साइट के आसपास तत्व संरचना का पता लगाने के लिए अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (APXS) औरलेज़र इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) नामक पेलोड से युक्त है।

मिशन प्रोफाइल

कक्षा की ऊंचाई बढ़ाना एवं स्टेशन रखरखाव

उपग्रह को LVM3 -M4 रॉकेट पर 14 जुलाई 2023 की दोपहर 2:35 बजे IST पर 170 कि॰मी॰ (106 मील) की ईपीओ पेरिजी और 36,500 कि॰मी॰ (22,680 मील) का अपोजी पर लॉन्च किया गया था। इसके बाद ऑन-बोर्ड एलएएम (लिक्विड अपोजी मोटर) और रासायनिक थ्रस्टर्स का उपयोग करके उपग्रह को ट्रांस-लूनर इंजेक्शन कक्षा में स्थापित करने के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं शृंखलाबद्ध तरीके से किया जाएगा।

#

तारीख/
समय (UTC)

एलएएम जलने का समय

ऊंचाई हासिल की

कक्षीय अवधि

नतीजा

संदर्भ

अपोजी/अपोलून

पेरिजी/पेरीलून

पृथ्वी से जुड़े मेन्यूवर

1

15 जुलाई 2023

41,762 कि॰मी॰ (25,950 मील)

173 कि॰मी॰ (107 मील)

सफल

[25]

2

17 जुलाई 2023

41,603 कि॰मी॰ (25,851 मील)

226 कि॰मी॰ (140 मील)

सफल

[25]

3

18 जुलाई 2023

51,400 कि॰मी॰ (31,900 मील)

228 कि॰मी॰ (142 मील)

सफल


4

20 जुलाई 2023

71,351 कि॰मी॰ (44,335 मील)

233 कि॰मी॰ (145 मील)

सफल

[25]

5

25 जुलाई 2023

127,603 कि॰मी॰ (79,289 मील)

236 कि॰मी॰ (147 मील)

सफल


ट्रांस लूनर इंजेक्शन

1

31 जुलाई 2023

369,328 कि॰मी॰ (229,490 मील)

288 कि॰मी॰ (179 मील)

सफल


चंद्र बाउंड मेन्यूवर

1

5 अगस्त 2023

1,835 sec

18,074 कि॰मी॰ (11,231 मील)

164 कि॰मी॰ (102 मील)

लगभग 21 घंटा

सफल


2

6 अगस्त 2023

4,313 कि॰मी॰ (2,680 मील)

170 कि॰मी॰ (110 मील)

सफल


3

9 अगस्त 2023

1,437 कि॰मी॰ (893 मील)

174 कि॰मी॰ (108 मील)

सफल


4

14 अगस्त 2023

177 कि॰मी॰ (110 मील)

150 कि॰मी॰ (93 मील)

सफल


5

16 अगस्त 2023

163 कि॰मी॰ (101 मील)

153 कि॰मी॰ (95 मील)

सफल


लैंडर व मॉड्यूल का अलग होना

1

17 अगस्त 2023

163 कि॰मी॰ (101 मील)

153 कि॰मी॰ (95 मील)

सफल


लैंडर डीऑर्बिट मेन्यूवर

1

18 अगस्त 2023

157 कि॰मी॰ (98 मील)

113 कि॰मी॰ (70 मील)

सफल


2

19 अगस्त 2023

60 sec

134 कि॰मी॰ (83 मील)

25 कि॰मी॰ (16 मील)

सफल


लैन्डिंग

1

23 अगस्त 2023

06:00PM

सफल लैंडिंग


 

 

मिशन जीवन

ऑर्बिटर

लैंडर मॉड्यूल

रोवर मॉड्यूल

लैंडर मॉड्यूल और रोवर को ~100 x 100  किमी लॉन्च इंजेक्शन तक ले जाना।

इसके बाद 3 से 6 महीने की अवधि के लिए प्रायोगिक पेलोड का संचालन किया गया।

1 चंद्र दिवस (14 पृथ्वी दिवस)

1 चंद्र दिवस (14 पृथ्वी दिवस)

 

अनुदान

दिसंबर 2019 में, यह बताया गया कि इसरो ने परियोजना की प्रारंभिक फंडिंग के लिए ₹75 करोड़ (US$10.95 मिलियन) का अनुरोध किया था, जिसमें से ₹60 करोड़ (US$8.76 मिलियन) मशीनरी, उपकरण और अन्य पूंजीगत व्यय की पूर्ति के लिए होगा, जबकि शेष ₹15 करोड़ (US$2.19 मिलियन) राजस्व व्यय मद में मांगा गया है। 

परियोजना के अस्तित्व की पुष्टि करते हुए, इसरो के पूर्व अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि लागत लगभग ₹615 करोड़ (US$89.79 मिलियन) होगी।

 

मिशन प्रोफाइल

चंद्रयान-3 का एनीमेशन
       चंद्रयान-3 ·        पृथ्वी ·        चंद्रमा