शासन की प्राथमिकताओं में शामिल होने के बाद भी जिले में छुट्टा मवेशियों की भरमार है। दस हजार से अधिक मवेशी अभी भी सड़कों पर घूम रहे हैं। पिछले सात महीनों में जिले में मवेशियों की चपेट में आने से 110 वाहन दुर्घटनाएं हुईं। इनमें 53 लोगों की मौत हुई और 92 लोग घायल हो चुके हैं।
छह साल से छुट्टा मवेशियों को गोशालाओं में संरक्षित करने की कवायद जारी है, लेकिन जिले के लोगों को इससे निजात नहीं मिल सकी। पशुपालन विभाग ने जिले में 42 हजार छुट्टा मवेशी चिह्नित किए थे। इनकी टैंगिंग कर गोशालाओं में संरक्षित करने पर काम शुरू हुआ। वैसे तो जिले में स्थायी और अस्थायी 270 गोशालाएं हैं। विभाग का दावा है कि इनमें 29507 मवेशी संरक्षित हैं। सड़कों पर छुट्टा मवेशी होने की हकीकत विभाग के आंकड़ों से ही बया हो रही है। दूसरी सड़कों पर घूम रहे मवेशी हादसों का कारण बने हैं। जिले में इस साल के बीते सात महीनों में मवेशियों की चपेट में आने से 110 सड़क हादसे हुए। इनमें 53 लोगों की मौत हुई जबकि 92 लोग गंभीर रूप से घायल हो चुके हैं।
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