दूसरों की आजादी छीन कर आजादी का जश्न मनाते हैं पीएसी वाले!
नैनी, प्रयागराज। दूसरों की आजादी छीन कर आजादी का जश्न मनाना कोई इनसे सीखे!
पूरी लेबर कॉलोनी में कर्फ्यू लगाकर आजादी का जश्न मनाने वालों के बारे में आप स्वयं फैसला करिए! क्या इनका यह कार्य उचित है?
इस 1 मिनट 10 सेकंड के वीडियो में जो आप देख रहे हैं। वह बेहद ही चौंकाने एवं सरकार को शर्मशार करने वाला दृश्य है। यहां पूरी बस्ती में कर्फ्यू लगाकर आजादी का जश्न मनाया जा रहा है। हजारों स्कूली बच्चे इस मार्ग से तिरंगा यात्रा निकालते हैं। कई वर्षों से प्रभात फेरी निकलती रही है। आज पंद्रह अगस्त 2024 को यहां कर्फ्यू लगाकर उसे रोक दिया गया।
यह वीडियो केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा निर्मित औद्योगिक श्रमिक बस्ती, नैनी, प्रयागराज का है।
इस कॉलोनी का निर्माण सन् 1955 में मजदूरों के लिए किया गया था।
श्रमिक बस्ती लेबर कॉलोनी का यह सबसे प्रमुख मार्ग है। जो छिवकी रेलवे स्टेशन, जीईसी कंपनी, काजीपुर, लेबर कॉलोनी से होते हुए गुरु नानक नगर चौराहा, लोकपुर अरैल से होकर सीधे संगम तट तक जाता है। मिर्जापुर रोड के बाद यह नैनी सर्वाधिक व्यस्ततम मार्ग है।
नैनी क्षेत्र के स्कूली बच्चे इस मार्ग से प्रतिवर्ष तिरंगा यात्रा निकालते हैं। रैलियां आयोजित होती हैं। लेकिन नैनी क्षेत्र के इस सर्वाधिक व्यस्त मार्ग को आज सवेरे पांच बजे से ही 42 वीं वाहिनी पीएसी के अधिकारियों के निर्देश पर बंद कर दिया गया।
इस मार्ग के बंद हो जाने के कारण स्कूली बच्चे समय से अपने स्कूल नहीं पहुंच पाए। तिरंगा शोभा यात्रा नहीं निकाल सके। पूरे श्रमिक बस्ती में ऐसा लग रहा था जैसे कर्फ्यू लगा दिया गया हो।
नैनी की घनी नागरिक आबादी के बीच में खाकी वर्दीधारियों के द्वारा इस तरह से सार्वजनिक मार्ग को रोककर आतंक फैलाये जाने के कारण पूरी श्रमिक बस्ती में भय और दहशत का माहौल है।
पीएसी के लोग आए दिन इस मार्ग को बंद कर देते हैं। जब भी कोई उच्च अधिकारी वाहिनी परिसर का दौरा करने आता है। तो इस मार्ग पर आवागमन बंद कर दिया जाता है। इस कॉलोनी का निर्माण मजदूरों के लिए किया गया था। लेकिन 42 वीं वाहिनी पीएसी प्रशासन पूरी कॉलोनी पर कब्जा करना चाहता हैं।
मजदूरों को उजाड़ कर पीएससी को बसाने की यहां साजिश रची जा रही है। इस बस्ती में मजदूरों और उनके बच्चों के लिए बनाए गए सभी खेल ग्राउंड, वेलफेयर सेंटर तथा कई सार्वजनिक पार्कों पर पीएसी द्वारा कब्जा कर लिया गया है। जिसकी वजह से लोगों का खुली हवा में सांस लेना दुश्वार हो गया है। मानवाधिकारों का यहां खुला उल्लंघन हो रहा है। पीएसी के जवान बेरोक-टोक पूरी कॉलोनी में इधर-उधर घूमते रहते हैं। वाहिनी प्रशासन में अनुशासन नाम की कोई चीज ही नहीं रह गई है वाहिनी में तैनात अधिकांश उच्च अधिकारी यहां रहते ही नहीं है। जिससे अनुशासनहीनता में जबरदस्त उछाल आया है। महिलाओं, लड़कियों का घर से निकलना दूभर हो गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री हेमवती नंदन बहुगुणा जी ने श्रमिक बस्ती लेबर कॉलोनी, नैनी, प्रयागराज से पीएसी कैंप को हटाए जाने का आदेश भी दिया था। लेकिन श्रम विभाग के अधिकारियों ने उस पर अमल नहीं किया। जिससे यहां अराजकता की स्थिति उत्पन्न होती जा रही है।
पहले यहां चौथी बटालियन आई और फिर चली गई। फिर 25वीं बटालियन आई और चली गई। लेकिन 42 वीं वाहिनी के लोग इस कॉलोनी में स्थाई कैंप बनाना चाहते हैं। जिसका स्थानीय जनता के द्वारा भारी विरोध किया जा रहा है। सरकार ने यदि इस दिशा में तत्काल सख्त कार्रवाई नहीं की तो किसी भी दिन आम जनता और पीएसी के बीच सीधा टकराव हो सकता है। इन पीएसी वालों के मन में जब आता है। कॉलोनी के रास्तों को बंद कर कर्फ्यू लगा देते हैं।
श्रमिक बस्ती, नैनी और आसपास के निवासियों के आजादी के जश्न में इस तरह से खलल डालने वाले खाकी वर्दीधारी पीएसी के लोग देशभक्त हैं या कुछ और? इसका फैसला आप स्वयं करें!
प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी को घटना को गंभीरता से लेते हुए पीएसी के जवानों द्वारा श्रमिक बस्ती में फैलाए जा रहे भय और आतंक को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई करना चाहिए। अभी हाल ही में उप्र पुलिस विशेष सुरक्षा बल के लिए यमुनापार जसरा ब्लाक में 60 बीघा जमीन उपलब्ध कराई गई है। इसी तरह 42 वीं वाहिनी पीएसी को भी घनी नागरिक आबादी से दूर किसी सुरक्षित स्थान पर 100 या 200 बीघा जमीन देकर वहां इनका कैंप स्थापित होना चाहिए।
नागरिक आबादी के बीच में रहने के कारण आए दिन टकराव की स्थिति उत्पन्न होती रहती है। पीएसी के जवान पूरी बस्ती में असलहा लेकर घूमते हैं। लोगों को आतंकित करते हैं। परेशान करते हैं। इनके यहां रहने से पूरे नैनी का वातावरण अशांत है। पीएसी को यहां से हटाने की मांग को लेकर अब धरना प्रदर्शन आंदोलन शुरू हो गया है।
उत्तर प्रदेश श्रम विभाग इस मामले में उल्टी गंगा बहा रहा है। मजदूरों के लिए बनाई गई कॉलोनी की जमीन पीएसी को देकर मजदूरों को उजाड़ने की साजिश रची जा रही है, जिससे स्थानीय जनता में भारी आक्रोश व्याप्त है। यही नहीं पीएसी अस्पताल का कूड़ा, गंदा कचरा लोगों के घरों के सामने लाकर फेंक दिया जाता है। जिससे भारी गंदगी फैल रही है।
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