नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) पर प्रतिबंध की अवधि को पांच साल के लिए बढ़ा दिया। गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर कहा कि उल्फा ने असम को भारत से अलग करने का उद्देश्य रखा है और इसकी गतिविधियां भारत की संप्रभुता और अखंडता के लिए खतरा बनी हुई हैं। संगठन पर जबरन वसूली, हिंसा, और अन्य उग्रवादी समूहों के साथ संबंध रखने जैसे गंभीर आरोप हैं।
उल्फा: एक परिचय
1980 में स्थापित यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) का उद्देश्य असम को भारत से अलग करना और एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना था। संगठन को पहली बार 1990 में गैरकानूनी घोषित किया गया। इसके बाद से समय-समय पर इस पर प्रतिबंध बढ़ाया गया है।
उल्फा की हालिया आपराधिक गतिविधियां
गृह मंत्रालय के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में उल्फा ने असम में कई हिंसक और आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिया। इनमें 16 गंभीर अपराध और 27 अन्य आपराधिक घटनाएं शामिल हैं।
आतंकवादी गतिविधियां:
स्वतंत्रता दिवस 2024 के पहले कई तात्कालिक विस्फोटक उपकरण (IED) लगाए गए।
संगठन के कब्जे से 27 हथियार, 550 राउंड गोला-बारूद, नौ ग्रेनेड और दो IED बरामद किए गए।
गिरफ्तारियां और आत्मसमर्पण:
56 कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया।
63 कार्यकर्ताओं ने आत्मसमर्पण किया।
पुलिस कार्रवाई:
सुरक्षा बलों द्वारा की गई कार्रवाई में उल्फा के तीन कट्टर कार्यकर्ता मारे गए।
शांति वार्ता और संगठन का विभाजन
अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले उल्फा के वार्ता समर्थक गुट ने 29
दिसंबर
2023 को केंद्र और असम सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए। इसमें
संगठन को भंग करने, हिंसा छोड़ने और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में शामिल होने पर सहमति दी
गई।
हालांकि,
परेश
बरुआ के नेतृत्व वाला कट्टरपंथी गुट अभी भी सक्रिय है। माना जाता है कि यह गुट
चीन-म्यांमार सीमा पर स्थित सुरक्षित ठिकानों से गतिविधियां चला रहा है और
विध्वंसक कार्यों में लिप्त है।
गृह मंत्रालय की अधिसूचना
गृह मंत्रालय ने अधिसूचना में कहा:
"उल्फा ने असम को भारत से अलग करने की घोषणा की है। यह संगठन जबरन
वसूली और हिंसा के लिए अन्य उग्रवादी समूहों के साथ गठजोड़ करता है। इसके सदस्यों
के कब्जे से हथियार और गोला-बारूद बरामद किए गए हैं।"
गृह
मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत उल्फा को
उसके सभी गुटों और अग्रणी संगठनों के साथ 27 नवंबर 2024
से
अगले पांच वर्षों के लिए गैरकानूनी घोषित किया।
सरकार के उठाए गए कदम
पिछले पांच वर्षों में सरकार और सुरक्षा बलों ने उल्फा पर नकेल कसने के लिए कई कदम उठाए:
15 मामले दर्ज और तीन आरोपपत्र दायर किए गए।
तीन कार्यकर्ताओं पर मुकदमा चलाया गया।
हथियारों की बरामदगी और आत्मसमर्पण की घटनाएं सरकार की रणनीति की सफलता को दर्शाती हैं।
असम की सुरक्षा के लिए अगली रणनीति
उल्फा पर प्रतिबंध बढ़ाने का फैसला असम में उग्रवाद के खिलाफ सरकार की गंभीरता को दर्शाता है। अब सरकार के सामने कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं:
कट्टरपंथी गुट की गतिविधियों पर रोक लगाना।
आत्मसमर्पण करने वाले कार्यकर्ताओं का पुनर्वास और उन्हें मुख्यधारा में शामिल करना।
असम के लोगों के बीच जागरूकता फैलाकर उग्रवाद के प्रति सहानुभूति को खत्म करना।
विकास और रोजगार के अवसर बढ़ाकर युवा पीढ़ी को उग्रवादी संगठनों से दूर रखना।
केंद्र सरकार का यह निर्णय असम में शांति और स्थिरता बनाए रखने की दिशा में एक बड़ा कदम है। हालांकि, परेश बरुआ जैसे कट्टरपंथी गुटों को रोकना और शांति प्रक्रिया को सफल बनाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य रहेगा। सरकार को सुरक्षा बलों, स्थानीय समुदायों और विभिन्न हितधारकों के सहयोग से इस दिशा में काम करना होगा।
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