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पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को मिली राहत, दो हफ्ते की जमानत, जानें वजह


कुलदीप सिंह सेंगर को मिली राहत

उत्तर प्रदेश के उन्नाव के पूर्व विधायक और दुष्कर्म केस में दोषी ठहराए गए कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से दो हफ्ते के लिए जमानत मिली है। यह राहत मेडिकल आधार पर दी गई है, जिसके तहत सेंगर का इलाज दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में किया जाएगा। अदालत ने इस दौरान सीबीआई से जवाब मांगा है कि क्या उनकी 10 साल की सजा को निलंबित किया जाना चाहिए। सेंगर के वकीलों ने यह दलील दी कि उनकी तबीयत गंभीर रूप से खराब है और उन्हें तत्काल चिकित्सा सुविधा की आवश्यकता है।

मेडिकल आधार पर जमानत की मांग

दिल्ली हाईकोर्ट ने यह आदेश कुलदीप सिंह सेंगर द्वारा दाखिल की गई याचिका पर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी 10 साल की सजा को मेडिकल आधार पर निलंबित करने की अपील की थी। उनका कहना है कि उनकी तबीयत पिछले कुछ समय से लगातार बिगड़ रही है, और गंभीर चिकित्सा स्थितियों का सामना कर रहे हैं। कोर्ट ने मामले में सीबीआई से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह भी उल्लेखनीय है कि सेंगर की अपील पर निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने के मामले में लंबे समय से सुनवाई नहीं हुई है।

उन्नाव दुष्कर्म केस: 2017 से लेकर अब तक

2017 में उन्नाव दुष्कर्म मामले ने पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थीं। आरोप है कि तत्कालीन बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने एक नाबालिग लड़की का अपहरण और दुष्कर्म किया। इस मामले में जांच के बाद सेंगर पर मामला दर्ज किया गया और उन्हें दोषी ठहराया गया। 13 मार्च 2020 को निचली अदालत ने दुष्कर्म पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में सेंगर को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। इस मामले में सेंगर के भाई अतुल सिंह सेंगर समेत छह अन्य आरोपियों को भी दोषी पाया गया और सजा सुनाई गई।

दूसरी सजा: जीवन पर्यंत कारावास

उन्नाव केस के एक अन्य मामले में, निचली अदालत ने 16 दिसंबर 2019 को कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराते हुए उन्हें जीवन पर्यंत कारावास की सजा सुनाई। यह सजा दुष्कर्म मामले से जुड़ी थी। फैसले के खिलाफ सेंगर ने हाईकोर्ट में अपील दायर की, जो अब भी लंबित है। सेंगर के वकीलों ने अदालत से अपील की है कि इस सजा को रद्द किया जाए, क्योंकि इसमें न्यायिक त्रुटियां हुई हैं।

बीजेपी ने किया निष्कासन

मामले की गंभीरता को देखते हुए बीजेपी ने कुलदीप सिंह सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया। इस घटना ने पार्टी और राज्य सरकार पर भी सवाल खड़े किए थे। सेंगर पिछले आठ वर्षों से जेल में बंद हैं और विभिन्न मामलों में सजा भुगत रहे हैं।

अदालत की अगली कार्रवाई पर नजर

मौजूदा जमानत केवल दो हफ्तों के लिए है, और सेंगर के स्वास्थ्य का आधार मानकर दी गई है। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि इस दौरान जांच एजेंसियों और सीबीआई से रिपोर्ट मांगी जाएगी ताकि सजा को स्थगित करने या न करने पर अंतिम निर्णय लिया जा सके।

यह मामला न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है, बल्कि न्याय प्रणाली के लंबे खिंचाव और अपील प्रक्रियाओं की चुनौतियों को भी उजागर करता है। वहीं, पीड़ित परिवार और सामाजिक संगठनों ने इस पर कड़ी निगरानी रखने की बात कही है।