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गुरुद्वारा साहिब की मर्यादा का उल्लंघन: राखी बिड़लान ने जुराबें उतारने से किया इनकार

नई दिल्ली: मादीपुर विधानसभा से विधायक राखी बिड़लान एक बार फिर विवादों में घिर गई हैं। इस बार मामला धर्मस्थल में अनुशासन और आस्था के प्रति असम्मान का है। हाल ही में, राखी बिड़लान गुरुद्वारा साहिब में जुराबें पहनकर पहुंचीं, जहां इस तरह का व्यवहार सिख धर्म के मर्यादाओं और परंपराओं के खिलाफ माना जाता है।

क्या है मामला?

मादीपुर स्थित गुरुद्वारा साहिब में राखी बिड़लान किसी धार्मिक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचीं। गुरुद्वारा में प्रवेश से पहले श्रद्धालुओं को सिर ढकना और जूते-चप्पल उतारकर प्रवेश करना होता है। साथ ही, जुराबें पहनकर प्रवेश करना भी वर्जित है क्योंकि इसे बेअदबी और पवित्रता के नियमों के खिलाफ समझा जाता है।

हालांकि, राखी बिड़लान ने इन नियमों का पालन नहीं किया। गुरुद्वारे के सेवादारों द्वारा बार-बार अनुरोध किए जाने के बावजूद उन्होंने अपनी जुराबें उतारने से इनकार कर दिया। इस व्यवहार को सिख संगत ने आस्था और परंपराओं के प्रति घोर असम्मान करार दिया है।

गुरुद्वारा प्रबंधन की प्रतिक्रिया

गुरुद्वारा प्रबंधन समिति ने इस घटना पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि धर्मस्थल की पवित्रता बनाए रखना हर किसी की जिम्मेदारी है, चाहे वह आम नागरिक हो या जनप्रतिनिधि। "गुरुद्वारा साहिब में प्रवेश करते समय सभी को समान नियमों का पालन करना होता है। राखी बिड़लान का यह व्यवहार न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि आस्था का भी अपमान है," गुरुद्वारा के एक सेवादार ने कहा।

सिख संगत में रोष

इस घटना के बाद स्थानीय सिख समुदाय में भारी आक्रोश है। सिख संगत का कहना है कि गुरुद्वारा साहिब की परंपराएं और नियम सभी के लिए समान हैं। विधायक जैसे पद पर बैठे व्यक्ति से जिम्मेदारी और अनुशासन की उम्मीद की जाती है।

"धर्मस्थल में जाकर इस तरह की बेअदबी करना निंदनीय है। यह हमारी परंपराओं और धार्मिक भावनाओं का अपमान है। राखी बिड़लान को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए," एक स्थानीय सिख संगत के सदस्य ने कहा।

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

यह मामला राजनीतिक रंग भी पकड़ रहा है। भाजपा ने इस घटना को लेकर राखी बिड़लान और आम आदमी पार्टी पर निशाना साधा है। भाजपा प्रत्याशी कैलाश गंगवाल ने कहा, "यह पहली बार नहीं है जब राखी बिड़लान ने जनता की भावनाओं का अपमान किया है। धर्मस्थल में जाकर इस तरह की असंवेदनशीलता दिखाना उनकी मानसिकता को दर्शाता है।"

वहीं, आम आदमी पार्टी ने इस मुद्दे को लेकर सफाई दी है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, "यह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, लेकिन इसे अनावश्यक रूप से राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए।"

क्या कहती है सिख परंपरा?

सिख धर्म में गुरुद्वारा साहिब को एक पवित्र स्थल माना जाता है, जहां आस्था और मर्यादा के नियमों का पालन अनिवार्य है। सिर ढककर और नंगे पांव गुरुद्वारे में प्रवेश करना सिख धर्म का एक अहम नियम है। इन परंपराओं का पालन हर श्रद्धालु करता है, चाहे वह किसी भी पृष्ठभूमि से हो।