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सदर कोतवाली क्षेत्र में खुलेआम गाँजे की तस्करी, प्रशासन बना अनजान, जल्द होगा पर्दाफाश।

रिपोर्ट: पुष्पेंद्र यादव, उन्नाव

उन्नाव: जनपद के सदर कोतवाली क्षेत्र में अवैध रूप से गाँजे का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है। स्थानीय लोगों के अनुसार, एक खास सड़क पर रोजाना इस नशीले पदार्थ की खरीद-फरोख्त होती है, लेकिन पुलिस प्रशासन इस पर कोई सख्त कार्रवाई करता नहीं दिख रहा है। इस बढ़ती तस्करी से न सिर्फ युवा प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि अपराध की घटनाओं में भी इजाफा देखा जा रहा है।

गाँजा क्या है?

गाँजा, जिसे भांग या कैनाबिस (Cannabis) भी कहा जाता है, एक मादक पदार्थ है जो कैनाबिस सैटाइवा (Cannabis Sativa) पौधे से प्राप्त होता है। इसका उपयोग हजारों वर्षों से विभिन्न रूपों में किया जाता रहा है। इसे सुखाकर, धूम्रपान के रूप में, तेल या पाउडर के रूप में उपयोग किया जाता है।

गाँजे के उपयोग (Uses of Ganja)

गाँजे का उपयोग मुख्य रूप से दो उद्देश्यों से किया जाता है:

औषधीय उपयोग – कुछ देशों में इसे दवा के रूप में प्रयोग किया जाता है, खासकर कैंसर, मिर्गी, अवसाद और पुराने दर्द जैसी बीमारियों में।


नशीले पदार्थ के रूप में – अवैध रूप से इसे नशे के लिए प्रयोग किया जाता है, जिससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।

भारत में गाँजे से जुड़े कानून (NDPS Act और कानूनी प्रावधान)
भारत में 1985 के नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (NDPS) एक्ट के तहत गाँजे का उत्पादन, बिक्री और सेवन अवैध है। इसके तहत:

‌किसी के पास 1 किलो तक गाँजा पाए जाने पर 6 महीने की जेल या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं

‌20 किलो तक पाए जाने पर 10 साल तक की जेल और भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।

‌व्यवसायिक मात्रा में तस्करी पर 10-20 साल की जेल और जुर्माना 1-2 लाख तक हो सकता है।

प्रशासन की चुप्पी, जनता की चिंता

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस अवैध धंधे की जानकारी पुलिस को भी है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। यदि जल्द ही प्रशासन सख्त कदम नहीं उठाता, तो यह क्षेत्र नशे और अपराध की जकड़ में आ सकता है।


गाँजा तस्करी की यह समस्या सिर्फ कानूनी मुद्दा ही नहीं, बल्कि सामाजिक चिंता का विषय भी है। प्रशासन को तत्काल इस पर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि युवा पीढ़ी को नशे की गिरफ्त में जाने से रोका जा सके।