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भारत 2047 तक बनेगा दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: मार्क मोबियस ने दी क्वालिटी कंट्रोल में सुधार और अमेरिका के साथ व्यापार समझौते की सलाह

 


नई दिल्ली: भारत की आर्थिक यात्रा नए मुकाम की ओर बढ़ रही है। अंतरराष्ट्रीय निवेश विशेषज्ञ मार्क मोबियस का कहना है कि अगर भारत ने अपनी वर्तमान आर्थिक नीतियों को मजबूती से लागू किया और गुणवत्ता नियंत्रण जैसी बाधाओं को हटाया, तो वह 2047 तक दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। मोबियस ने कहा कि भारत का विकास पथ स्पष्ट है और अगर मुक्त व्यापार समझौतों पर काम हुआ, विशेष रूप से अमेरिका के साथ, तो यह लक्ष्य और जल्दी हासिल हो सकता है।

मोबियस का यह बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों के कारण ट्रेड वार की आशंका बनी हुई है। फिर भी मोबियस का मानना है कि आने वाले महीनों में अमेरिका कई देशों से व्यापार समझौते करेगा जिससे बाजार में स्थिरता आएगी और मंदी की आशंका टल जाएगी।

उन्होंने भारतीय शेयर बाजार को लेकर भी सकारात्मक रुख दिखाया। उनका मानना है कि यह समय अच्छे शेयरों में निवेश या उन्हें होल्ड करने का है क्योंकि बाजार में धीरे-धीरे रिकवरी दिखने लगी है। पिछले कुछ दिनों में सेंसेक्स और निफ्टी में 4% तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो निवेशकों में भरोसे की वापसी को दर्शाता है।

भारत की वैश्विक रैंकिंग में छलांग

मोबियस ने भारत की आर्थिक छलांग को रेखांकित करते हुए बताया कि कुछ ही वर्षों में भारत ने 11वें स्थान से 5वें स्थान तक का सफर तय किया है। वर्तमान में भारत की जीडीपी 4.3 ट्रिलियन डॉलर है जो जापान (4.4 ट्रिलियन डॉलर) और जर्मनी (4.9 ट्रिलियन डॉलर) से थोड़ा ही पीछे है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुमान के अनुसार भारत 2024 के अंत तक जापान से और 2027 तक जर्मनी से आगे निकल सकता है।

नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम ने भी भारत की प्रगति पर आश्वासन जताया है। उन्होंने कहा कि भारत के पास विशाल युवा जनसंख्या है, जो न केवल देश के लिए बल्कि दुनिया के लिए काम करने को तैयार है। भारत शिक्षा और तकनीकी क्षेत्र में वैश्विक केंद्र बन सकता है, जिससे वैश्विक कंपनियों को प्रशिक्षित व भरोसेमंद मानव संसाधन मिलेगा।

मैन्युफैक्चरिंग में गति के लिए मोबियस की सलाह

मोबियस ने भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर भी ध्यान देने की जरूरत बताई। उनका कहना है कि आयात पर लगी कुछ पाबंदियों को अगर हटाया जाए, तो घरेलू उद्योगों में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, उत्पादन बढ़ेगा और वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति और मजबूत होगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि गुणवत्ता नियंत्रण (quality control) में सख्ती जरूरी है लेकिन इससे जुड़े अनावश्यक अवरोधों को हटाकर एक प्रगतिशील नीति अपनाई जानी चाहिए।

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते की संभावना

मोबियस ने भारत और अमेरिका के बीच Free Trade Agreement (FTA) की वकालत की। उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एक पारदर्शी और व्यावसायिक साझेदारी की आवश्यकता है। इससे न केवल व्यापार बढ़ेगा, बल्कि भारत की वैश्विक व्यापार नीति को मजबूती भी मिलेगी। फिलहाल भारत और अमेरिका के बीच 2025 से पहले टैरिफ में कटौती पर चर्चा चल रही है, जो द्विपक्षीय व्यापार को नई दिशा देगा।

उन्होंने बताया कि अमेरिका के साथ मुक्त व्यापार समझौते से भारत को तकनीक, निवेश और बाजार की व्यापक पहुंच मिल सकती है। साथ ही भारतीय स्टार्टअप और MSME सेक्टर को भी अंतरराष्ट्रीय अवसर प्राप्त होंगे।

चुनौतियां और अवसर

हालांकि, मोबियस ने कुछ चिंताओं की भी ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि भारत में अभी भी कई व्यापारिक प्रक्रियाएं जटिल हैं। क्वालिटी कंट्रोल, लॉजिस्टिक्स, टैक्स सिस्टम आदि क्षेत्रों में सुधार की ज़रूरत है। अगर इन बाधाओं को दूर किया गया, तो भारत और भी तेज़ी से आगे बढ़ेगा।

भारत की एक बड़ी ताकत उसका युवा डेमोग्राफिक डिविडेंड है। जहां दुनिया के कई देश बूढ़ी होती आबादी से जूझ रहे हैं, वहीं भारत के पास बड़ी संख्या में कार्यशील युवा हैं, जो अर्थव्यवस्था को उन्नति की राह पर ले जा सकते हैं। यही कारण है कि नीति आयोग और वैश्विक अर्थशास्त्री दोनों भारत को अगले दो दशकों में वैश्विक शक्ति बनने की दिशा में देख रहे हैं।