Hot Posts

7/recent/ticker-posts

गौवंशों के लिए मौत का अड्डा बन चुकी हैं भगवंत नगर की गौशालाएं!


उन्नाव, भगवंत नगर —
जहां योगी सरकार गोवंश संरक्षण को लेकर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। जनपद उन्नाव की भगवंत नगर विधानसभा के अंतर्गत आने वाली गौशालाएं आज गौवंशों के लिए किसी नरक से कम नहीं रह गई हैं। लापरवाही, भ्रष्टाचार और देखरेख के अभाव में इन गौशालाओं में गायों की मौतें आम बात हो चुकी हैं।

बदहाल व्यवस्था, दरिंदगी के हालात

भगवंत नगर के बीघापुर तहसील के गांव रुद्रपुर की गौशाला से मिली तस्वीरें और जानकारी रूह कंपा देने वाली हैं। यहां असहाय और बीमार गोवंशों को कुत्ते नोच रहे हैं, और प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। न तो कोई पशु चिकित्सक मौके पर पहुंचता है, न ही उनकी देखभाल के लिए कोई कर्मचारी पूरी जिम्मेदारी निभा रहा है। घायल गायें सड़कों और गौशाला परिसर में कराहती पड़ी रहती हैं।

विधायक और अफसर दोनों चुप

स्थानीय जनता का कहना है कि भगवंत नगर के भाजपा विधायक आशुतोष शुक्ला और प्रशासनिक अधिकारी इन गौशालाओं की ओर बिल्कुल ध्यान नहीं दे रहे। शिकायतों के बावजूद कोई ठोस कार्यवाही नहीं होती। यही नहीं, जिले के पशुपालन विभाग पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि वह गोशालाओं को नियमित निरीक्षण करने और व्यवस्था सुधारने में पूरी तरह विफल रहा है।

सरकारी धन की बर्बादी, संरक्षण योजनाएं फेल

सरकार द्वारा चलाए जा रहे गोवंश संरक्षण अभियान के अंतर्गत करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं। मगर जमीनी हालात देखकर लगता है कि ये धनराशि या तो भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई या सिर्फ कागजों में खर्च हुई। गौशालाओं में न भोजन की व्यवस्था है, न पानी, न छाया, न ही किसी प्रकार की चिकित्सा सुविधा। यह सब साफ इशारा करता है कि प्रशासनिक मिलीभगत और ठेकेदारों की मनमानी से यह स्थिति पैदा हुई है।

स्थानीय लोगों में आक्रोश, मांग उठी जांच की

रुद्रपुर और आस-पास के गांवों में रहने वाले लोगों में आक्रोश है। ग्रामीणों का कहना है कि ये गौशालाएं आज व्यापार बन चुकी हैं, जहां सिर्फ पैसे ऐंठने के लिए गोवंशों को भर लिया जाता है और फिर मरने के लिए छोड़ दिया जाता है। कई बार शिकायत करने के बावजूद न कोई जांच होती है, न ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई।

सरकार की छवि पर सवाल

इस तरह की घटनाएं सीधे तौर पर योगी सरकार की गोवंश संरक्षण नीति को कठघरे में खड़ा करती हैं। यदि समय रहते इन गौशालाओं में सुधार नहीं किया गया और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो सरकार की "गौसेवा" की छवि को गहरा नुकसान हो सकता है।