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उन्नाव के हिस्ट्रीशीटर अंशू गुप्ता का गुनाहों का काला चिट्ठा! फर्जी पासपोर्ट से लेकर मनी लॉन्ड्रिंग तक, हर जुर्म में माहिर

डिजिटल डेस्क: अमरेश द्विवेदी, लखनऊ।
उन्नाव। जिला उन्नाव से एक बार फिर अपराध की बड़ी खबर सामने आई है। सदर कोतवाली क्षेत्र का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर अंशू गुप्ता पुलिस की रडार पर है। उन्नाव पुलिस के मुखिया एसपी दीपक भूकर ने उसके खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए फरार घोषित कर दिया है और इनाम की घोषणा भी कर दी गई है।

अंशू गुप्ता पर फर्जी दस्तावेजों के सहारे पासपोर्ट बनवाने का गंभीर आरोप है। लेकिन जनाब, ये तो बस ट्रेलर है! अंशू का असली खेल तो इतने पर ही खत्म नहीं होता। उसके गुनाहों की पूरी फिल्म अभी बाकी है।
बड़े-बड़ों से है नाता, तभी तो कोई हाथ नहीं डाल पाया
सूत्रों की मानें तो अंशू गुप्ता का रसूख सिर्फ उन्नाव तक सीमित नहीं है। उसके पीछे कई बड़े नेताओं और नामी धर्मगुरुओं का मजबूत हाथ है। उन्हीं की शह पर अंशू सालों से कानून की आंख में धूल झोंकता चला आ रहा है। धर्म के नाम पर फंडिंग, जमीनों के काले सौदे, हेराफेरी, चंदे की रकम का गोलमाल – अंशू के पास गुनाहों की पूरी बारात है।


फर्जीवाड़े की फैक्ट्री चलाता था अंशू
पुलिस के रिकॉर्ड में भले ही अब तक फर्जी पासपोर्ट का मामला दर्ज है, लेकिन अंदरखाने की खबरों की मानें तो अंशू गुप्ता ने दर्जनों लोगों के नाम पर फर्जी दस्तावेज तैयार कराए। खुद के लिए भी ऐसा ही जुगाड़ बैठाया। यह भी कहा जा रहा है कि उसके गुर्गों के पास आज भी ऐसे कागजातों का जखीरा मौजूद है जो अंशू के सारे राज खोल सकते हैं।
काली कमाई का साम्राज्य – कई राज्यों तक फैला नेटवर्क
अंशू गुप्ता का खेल सिर्फ उन्नाव तक सीमित नहीं है। उसकी जड़े प्रदेश के बाहर तक फैली हुई हैं। हवाला, मनी लॉन्ड्रिंग और फर्जी ट्रस्टों के जरिए करोड़ों का खेल चल रहा है। जो पैसे धर्म, राजनीति और समाजसेवा के नाम पर आते हैं, वे सीधे अंशू के नेटवर्क में घुसेड़ दिए जाते हैं। इतना ही नहीं, बड़े-बड़े सफेदपोश लोगों के नाम भी इन पैसों के लेनदेन में सामने आने की आशंका जताई जा रही है।


पुलिस अब तक केवल एक पन्ना पढ़ पाई है, पूरी किताब बाकी है
अंशू के खिलाफ प्रशासन अब तक सिर्फ पासपोर्ट वाले मामले तक ही पहुंच पाया है। लेकिन हकीकत ये है कि ऐसे दर्जनों मामले हैं जो आज तक कभी दर्ज ही नहीं हुए। वजह साफ है – ऊपर से दबाव और अंदर से सांठगांठ। जब-जब कोई अफसर मामले को गंभीरता से लेना चाहता था, तभी किसी नेता या बाबा का फोन आ जाता था और केस ठंडे बस्ते में चला जाता था।
स्थानीय लोग बोले – ‘अब तक तो ये आदमी कानून का मज़ाक बन चुका था’
स्थानीय निवासियों का कहना है कि अंशू गुप्ता ने अपने रसूख के बल पर उन्नाव में एक तरह का आतंक खड़ा कर रखा था। कोई उसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं करता था। डर, धमकी और दलाली – यही उसके तीन हथियार थे। अब जब एसपी दीपक भूकर ने मोर्चा संभाला है तो जनता को उम्मीद जगी है कि ये हिस्ट्रीशीटर आखिरकार सलाखों के पीछे पहुंचेगा।


अब ज़रूरत है ईडी और सीबीआई जैसी एजेंसियों की एंट्री की
ये मामला अब सिर्फ पुलिस तक सीमित नहीं रह गया है। ये सीधा-सीधा मनी लॉन्ड्रिंग, हवाला और राजनीतिक सांठगांठ से जुड़ा हुआ है। अगर इसकी गहन जांच कराई जाए, तो कई नामचीन चेहरे बेनकाब हो सकते हैं। ईडी, सीबीआई या फिर स्पेशल टास्क फोर्स जैसी एजेंसियों को इस पर तुरंत एक्शन लेना चाहिए।

अंशू गुप्ता अब बच नहीं पाएगा!
उन्नाव के इस कुख्यात हिस्ट्रीशीटर की गिरफ्तारी अब महज़ वक्त की बात है। उसके खिलाफ जो सबूत सामने आ रहे हैं, वो ये साफ कर रहे हैं कि ये आदमी अब नहीं बचेगा। लेकिन बड़ा सवाल ये है – क्या प्रशासन सिर्फ पासपोर्ट तक ही सीमित रहेगा या पूरे सिस्टम की सफाई करेगा?