उन्नाव, 24 अप्रैल (विशेष संवाददाता):
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से एक मार्मिक मामला सामने आया है, जहां एक महिला अपने पूरे परिवार के साथ न्याय और अधिकारों की भीख मांग रही है। पीड़िता अपनी 85 वर्षीय असहाय सास, 5 वर्षीय बेटी और बेरोजगार पति के साथ जीवन यापन कर रही है। महिला का कहना है कि उसकी सास ने अपनी संपत्ति उसे सौंप दी थी ताकि वह किराये पर देकर व छोटा-मोटा व्यवसाय कर अपने परिवार का भरण-पोषण कर सके। लेकिन अब न केवल संपत्ति पर अवैध कब्जा कर लिया गया है, बल्कि परिवार को धमकियां भी दी जा रही हैं।
पीड़िता का आरोप है कि उसके जेठ इकबाल खलीक और जेठानी तमन्ना तबस्सुम ने उक्त संपत्ति पर जबरन ताला डाल दिया है और अब वहां सीसीटीवी कैमरे लगवाकर महिला और उसके परिवार पर निगरानी की जा रही है। सबसे गंभीर बात यह है कि पूर्व में पीड़िता पर जानलेवा हमला भी हो चुका है, जिसमें अदालत में मामला विचाराधीन है। इतना ही नहीं, इस हमले के एक महत्वपूर्ण गवाह अनीश कुमार को प्रशासन ने सुरक्षा तक प्रदान की है। बावजूद इसके, आरोपियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि मानवाधिकार आयोग की जांच (केस संख्या 6771/24/71/2025, दिनांक 04/04/2025) के बीच ही पीड़िता के घर का सारा सामान निकाल लिया गया.
मानवता को शर्मसार करती खामोशी
पीड़िता ने अपने पत्र में जिलाधिकारी और मानवाधिकार आयोग से मांग की है कि उनकी संपत्ति को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाए और आरोपियों पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि यदि उन्हें जल्द न्याय नहीं मिला, तो उनकी सास आसिया बेगम, जो बिस्तर पर हैं और चलने-फिरने में असमर्थ हैं, उनके मौलिक अधिकारों का घोर हनन होगा। प्रशासनिक निष्क्रियता के चलते उनके परिवार की गरिमा, स्वतंत्रता और सुरक्षा को खतरा बना हुआ है।
न्याय के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही है महिला
पीड़िता का पति निजी संस्थानों में नौकरी करने की हालत में नहीं है, क्योंकि उसे हर समय अपनी मां की सेवा में रहना पड़ता है। बच्ची की शिक्षा, सास का इलाज और खुद के जीवन-यापन की चिंता महिला के कंधों पर है। ऐसे में परिवार की एकमात्र आर्थिक आशा वह संपत्ति थी जो उसकी सास ने अपने पुत्र यानि प्राथिनी के पति को दान कर दी थी। लेकिन अब उस संपत्ति पर भी जबरन कब्जा कर लिया गया है, और महिला अपने ही घर जाने से डरती है कि कहीं फिर से हमला न हो जाए या पति को झूठे मुकदमे में फंसा न दिया जाए।
प्रशासन के होते बगैर भय आरोपी सक्रिय
पीड़िता ने प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि एक तरफ वे मानवाधिकार आयोग और जिलाधिकारी से न्याय की अपील कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर आरोपी खुलेआम दबंगई कर रहे हैं। न तो उनके पास कोई संपत्ति का वैध कागज़ है, न ही न्यायालय का कोई स्थगन आदेश, फिर भी पुलिस और राजस्व विभाग ने अब तक कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की है। यह चुप्पी कहीं न कहीं सिस्टम की संवेदनहीनता और दबाव के आगे झुकी हुई मानसिकता को दर्शाती है।
मानवाधिकार आयोग से सख्त कार्रवाई की मांग
महिला ने साफ शब्दों में कहा है कि यदि प्रशासन ने आरोपियों पर समय रहते कार्यवाही नहीं की, तो उनके परिवार की सुरक्षा खतरे में पड़ जाएगी। उन्होंने मांग की है कि आईटी एक्ट की सुसंगत धाराओं के तहत सीसीटीवी कैमरों की जांच हो, जो प्राइवेट संपत्ति में जबरन लगाए गए हैं। साथ ही अवैध रूप से कब्जा किए गए परिसर से ताले तुड़वाए जाएं।
महिला का कहना है कि “यह केवल मेरी लड़ाई नहीं है, यह हर उस महिला की लड़ाई है जो अपनों की धोखाधड़ी और सिस्टम की उदासीनता के बीच फंसी है। मेरी सास के मानवाधिकारों की रक्षा करना शासन और प्रशासन की नैतिक जिम्मेदारी है।”
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