उत्तर प्रदेश में पोलियो उन्मूलन को लेकर एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग ने कमर कस ली है। राज्य भर में 22 दिसंबर तक विशेष पोलियो अभियान चलाया जाएगा, जिसके तहत शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को घर-घर जाकर पोलियो की खुराक पिलाई जाएगी।
इस अभियान में 29,360 टीमें और 10,686 पर्यवेक्षक लगाए गए हैं, जो गांवों, कस्बों, शहरी बस्तियों, झुग्गी-झोपड़ियों और संवेदनशील इलाकों में जाकर बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने का कार्य करेंगे।
स्वास्थ्य विभाग का उद्देश्य है कि कोई भी बच्चा पोलियो की खुराक से वंचित न रह जाए, खासकर वे बच्चे जो घुमंतू, प्रवासी या अस्थायी परिवारों से जुड़े हैं।
घुमंतू और प्रवासी परिवारों पर विशेष फोकस
राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉ. अजय गुप्ता ने बताया कि पोलियो संक्रमण का खतरा सबसे अधिक घुमंतू और प्रवासी परिवारों में देखा जाता है, क्योंकि ये लोग अक्सर एक स्थान से दूसरे स्थान पर आते-जाते रहते हैं और नियमित टीकाकरण से छूट जाते हैं।
इसी को ध्यान में रखते हुए प्रदेश में 16,194 हाई-रिस्क क्षेत्रों की पहचान की गई है, जहां 4,60,489 परिवारों को विशेष रूप से चिह्नित किया गया है। इन इलाकों में स्वास्थ्य टीमें अतिरिक्त सतर्कता के साथ अभियान चला रही हैं।
डॉ. गुप्ता के अनुसार,
“पोलियो उन्मूलन में सबसे बड़ी चुनौती यही है कि हर बच्चे तक समय पर दवा पहुंचे। प्रवासी और अस्थायी परिवारों के बच्चों को कवर करना हमारी प्राथमिकता है।”
पोलियो-मुक्त होने के बावजूद सतर्कता जरूरी
नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के महाप्रबंधक डॉ. मनोज शुक्ला ने बताया कि उत्तर प्रदेश वर्ष 2010 से पोलियो-मुक्त है, लेकिन इसके बावजूद खतरा पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि भारत के पड़ोसी देशों में अब भी पोलियो संक्रमण के मामले सामने आते रहते हैं। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय आवाजाही और सीमावर्ती गतिविधियों को देखते हुए भारत में समय-समय पर पोलियो अभियान चलाना बेहद जरूरी है।
डॉ. शुक्ला के मुताबिक,
“पोलियो एक बार फिर लौट न आए, इसके लिए निरंतर निगरानी और टीकाकरण अभियान जरूरी हैं। यही कारण है कि पोलियो-मुक्त होने के बाद भी हम सतर्क हैं।”
स्वास्थ्य विभाग की व्यापक तैयारी
स्वास्थ्य विभाग ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए माइक्रो-प्लानिंग के तहत काम किया है।
-
हर टीम में प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मी
-
प्रत्येक क्षेत्र के लिए पर्यवेक्षक
-
बच्चों की सूची और घर-घर ट्रैकिंग
-
छूटे हुए बच्चों के लिए फॉलो-अप टीम
जैसी व्यवस्थाएं की गई हैं।
इसके अलावा, रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, ईंट-भट्ठे, निर्माण स्थल और मेलों जैसे स्थानों पर भी मोबाइल पोलियो बूथ लगाए गए हैं, ताकि बाहर से आने वाले परिवारों के बच्चों को भी खुराक दी जा सके।
इन जिलों में विशेष रूप से चलेगा अभियान
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, प्रदेश के कई जिलों में यह अभियान विशेष सतर्कता के साथ चलाया जाएगा। इनमें शामिल हैं—
आगरा, अंबेडकरनगर, अमेठी, अयोध्या, बदायूं, भदोही, बांदा, चंदौली, इटावा, फिरोजाबाद, गौतमबुद्धनगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, हमीरपुर, हाथरस, जालौन, जौनपुर, झांसी, कन्नौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज, कुशीनगर, ललितपुर, लखनऊ, महोबा, मऊ, मथुरा, मिर्जापुर, पीलीभीत, सोनभद्र, उन्नाव और वाराणसी।
इन जिलों में स्वास्थ्य विभाग की टीमें संवेदनशील इलाकों पर खास नजर रख रही हैं।
आमजन से सहयोग की अपील
स्वास्थ्य विभाग ने अभिभावकों से अपील की है कि जब पोलियो टीम उनके घर आए, तो बिना किसी हिचक के बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलवाएं।
विशेषज्ञों का कहना है कि पोलियो की दवा पूरी तरह सुरक्षित है और इसे बार-बार पिलाना भी नुकसानदेह नहीं है, बल्कि यह बच्चों को आजीवन सुरक्षा प्रदान करती है।
पोलियो उन्मूलन की दिशा में निरंतर प्रयास
उत्तर प्रदेश में यह अभियान न सिर्फ एक स्वास्थ्य कार्यक्रम है, बल्कि आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित रखने का सामूहिक प्रयास भी है।
स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि जब तक हर बच्चा सुरक्षित नहीं होगा, तब तक पोलियो उन्मूलन का लक्ष्य पूरी तरह हासिल नहीं माना जा सकता।
इसी सोच के साथ प्रदेश में एक बार फिर घर-घर दस्तक देकर पोलियो से बचाव की मुहिम चलाई जा रही है, ताकि उत्तर प्रदेश और देश हमेशा के लिए पोलियो-मुक्त बना रहे।





