दिल्ली-एनसीआर में हवा बनी जानलेवा, एक्यूआई गंभीर श्रेणी में
दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण ने एक बार फिर खतरनाक स्तर छू लिया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार शनिवार सुबह दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 459 दर्ज किया गया, जबकि नोएडा का AQI 469 और ग्रेटर नोएडा का 442 मापा गया। हालात की गंभीरता को देखते हुए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने दिल्ली-एनसीआर में ‘चरणबद्ध प्रतिक्रिया कार्य योजना’ (GRAP) के चौथे चरण के तहत सख्त प्रतिबंध लागू कर दिए हैं।
प्रदूषण की भयावह स्थिति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रविवार सुबह कुछ इलाकों में AQI बढ़कर 497 तक पहुंच गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। इसका सीधा असर आम लोगों की सेहत पर पड़ रहा है।
GRAP-4 के तहत लागू हुए कड़े प्रतिबंध
CAQM की ओर से GRAP-4 लागू किए जाने के बाद दिल्ली-एनसीआर में निर्माण गतिविधियों, औद्योगिक संचालन और वाहनों की आवाजाही पर अतिरिक्त सख्ती की गई है। प्रशासन का कहना है कि इन कदमों का मकसद प्रदूषण के स्तर को और बिगड़ने से रोकना है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, मौसम में स्थिरता, कम हवा की गति और ठंड बढ़ने के कारण प्रदूषक कण वातावरण में लंबे समय तक बने रहते हैं, जिससे हालात और खराब हो जाते हैं।
डॉक्टरों की चेतावनी: हल्के मास्क पहनें, बाहर कम निकलें
उत्तर भारत में जारी वायु प्रदूषण संकट पर फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के कार्यकारी निदेशक और इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अतुल माथुर ने लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में बाहर कम समय बिताना बेहद जरूरी है और यदि बहुत आवश्यक हो, तो हल्के मास्क का उपयोग किया जाना चाहिए।
डॉ. माथुर के अनुसार, “उत्तर भारत में प्रदूषण की समस्या कोई नई नहीं है, यह दशकों से बनी हुई है। प्रदूषण के दो प्रमुख घटक होते हैं—एक नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी हानिकारक गैसें और दूसरा कण पदार्थ (पार्टिकुलेट मैटर)।”
प्रदूषण शरीर को कैसे नुकसान पहुंचाता है
डॉ. अतुल माथुर ने वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों को विस्तार से समझाया। उन्होंने बताया कि जब सूक्ष्म कण (PM) शरीर में प्रवेश करते हैं, तो ये धमनियों में सूजन पैदा करते हैं, जिससे हृदय रोग, सांस की बीमारियां और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यह वही मौसम है, जब वायरल संक्रमण तेजी से फैलते हैं। ऐसे में प्रदूषण और वायरस का संयुक्त प्रभाव स्वास्थ्य जोखिम को कई गुना बढ़ा देता है। उनका कहना है कि बुजुर्गों, बच्चों और पहले से बीमार लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
नोएडा में ट्रैफिक पर सख्ती, गति सीमा घटाई गई
प्रदूषण के मद्देनजर नोएडा में यातायात नियमों को भी सख्त किया गया है। एडीसीपी ट्रैफिक प्रवीण रंजन ने बताया कि 15 दिसंबर की रात 12 बजे से यमुना एक्सप्रेसवे पर हल्के वाहनों की अधिकतम गति सीमा 100 किलोमीटर प्रति घंटा से घटाकर 75 किलोमीटर प्रति घंटा कर दी गई है। वहीं भारी वाहनों के लिए यह सीमा 60 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई है। यह आदेश 15 फरवरी तक प्रभावी रहेगा।
अन्य प्रमुख मार्गों पर भी नई गति सीमा
नोएडा एक्सप्रेसवे पर हल्के वाहनों के लिए अधिकतम गति सीमा 75 किलोमीटर प्रति घंटा और भारी वाहनों के लिए 50 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित की गई है। इसी तरह, एलिवेटेड रोड पर हल्के वाहनों की गति सीमा 50 किलोमीटर प्रति घंटा और भारी वाहनों के लिए 40 किलोमीटर प्रति घंटा तय की गई है।
प्रशासन का मानना है कि गति सीमा कम करने से धूल और प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, साथ ही कोहरे के मौसम में दुर्घटनाओं की आशंका भी घटेगी।
हालात गंभीर, सावधानी ही बचाव
दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ता वायु प्रदूषण न केवल प्रशासन बल्कि आम लोगों के लिए भी बड़ी चुनौती बन चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक मौसम में बदलाव और तेज हवाएं नहीं चलेंगी, तब तक राहत की उम्मीद कम है। ऐसे में मास्क का उपयोग, घर के अंदर रहना और अनावश्यक यात्रा से बचना ही फिलहाल सबसे सुरक्षित उपाय माने जा रहे हैं।





