नई दिल्ली। भारतीय सिनेमा में जब भी कोई फिल्म तयशुदा फार्मूले से हटकर कुछ नया करती है, तो वह चर्चा का विषय बन जाती है। Dhurandhar Film भी कुछ ऐसी ही फिल्म बनकर सामने आई है, जिसने न सिर्फ कहानी कहने का अंदाज बदला, बल्कि एक बिल्कुल नया जॉनर दर्शकों के सामने रखा—Gangster Musical। यह फिल्म न तो सिर्फ गैंगस्टर ड्रामा है और न ही केवल म्यूजिकल, बल्कि इन दोनों का ऐसा मेल है, जो पहले भारतीय सिनेमा में कम ही देखने को मिला है।
शादी, गोलियां और गाना: शुरुआत से ही अलग पहचान
फिल्म की शुरुआत ही दर्शक को चौंका देती है। कराची में एक भव्य शादी का माहौल है, रंग-बिरंगे कपड़े, रौशनी और संगीत। लेकिन अचानक जश्न के बीच गोलियों की बौछार शुरू हो जाती है। एक तरफ बलूच गैंग और दूसरी तरफ पठान गैंग आमने-सामने हैं। इस हिंसक शूटआउट के दौरान बैकग्राउंड में बजता है 1981 की फिल्म अरमान का मशहूर गीत ‘रंभा हो’, जिसे यहां पूरी तरह नए, आक्रामक और हिंसक अंदाज में पेश किया गया है। यहीं से साफ हो जाता है कि Dhurandhar Film किसी पारंपरिक ढांचे में नहीं बंधी है।
कराची के लियारी से उठती कहानी
फिल्म कराची के पुराने और बदनाम इलाके लियारी में सेट है, जो लंबे समय से Karachi Underworld की पहचान रहा है। कहानी रहमान डकैत के गैंग के इर्द-गिर्द घूमती है और उसमें हम्जा अली मंरी के उभरने की यात्रा को दिखाती है। यह सिर्फ अपराध की कहानी नहीं है, बल्कि दोस्ती, विश्वासघात, दुश्मनी और रिश्तों के जटिल समीकरणों को भी सामने लाती है।
फिल्म दिखाती है कि कैसे एक साधारण युवा धीरे-धीरे अंडरवर्ल्ड की दुनिया में कदम रखता है और फिर उसी दुनिया का हिस्सा बन जाता है। यह बदलाव अचानक नहीं, बल्कि परिस्थितियों और रिश्तों के दबाव में होता है, जो कहानी को और ज्यादा वास्तविक बनाता है।
‘सत्या’ की याद दिलाती है धुरंधर
अगर राम गोपाल वर्मा की सत्या को कराची में रख दिया जाए और उसमें अनोखा संगीत जोड़ दिया जाए, तो जो फिल्म बनेगी, वह कुछ हद तक Dhurandhar Film जैसी ही होगी। जैसे सत्या ने 90 के दशक में मुंबई के अंडरवर्ल्ड को बिना ग्लैमर के, कच्चे और असली रूप में दिखाया था, वैसे ही धुरंधर कराची की अंडरवर्ल्ड दुनिया को सामने लाती है।
किरदारों के चेहरे पर मोटा मेकअप, गंदे कपड़े, बिखरे बाल और कड़वी भाषा उनके हिंसक जीवन की सच्चाई बयान करते हैं। यहां कोई हीरो चमकदार नहीं है, हर किरदार अपने भीतर अंधेरा समेटे हुए है।
बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन
जहां कई प्रयोगात्मक फिल्में दर्शकों तक सीमित रह जाती हैं, वहीं Dhurandhar Film ने कमाई के मामले में भी सबको चौंका दिया है। फिल्म ने Indian Box Office पर अब तक 483 करोड़ रुपये की जबरदस्त कमाई कर ली है। यह साबित करता है कि दर्शक अब सिर्फ सुरक्षित और घिसे-पिटे कंटेंट से संतुष्ट नहीं हैं, बल्कि नए और दमदार प्रयोगों को भी खुले दिल से स्वीकार कर रहे हैं।
इंडस्ट्री की प्रतिक्रिया और निर्देशक की सोच
राम गोपाल वर्मा ने इस फिल्म को “भारतीय सिनेमा में क्वांटम लीप” बताया है। उनका मानना है कि धुरंधर ने यह साबित कर दिया है कि कंटेंट अगर मजबूत हो, तो दर्शक किसी भी तरह के प्रयोग को अपनाने के लिए तैयार रहते हैं।
वहीं Aditya Dhar Film के निर्देशक आदित्य धर का कहना है कि यह पहली बार है जब उन्हें महसूस हुआ कि उनके काम को सही मायनों में समझा गया है। उनके अनुसार, फिल्म की सफलता का कारण कोई राजनीतिक संदेश या विवादित मुद्दा नहीं, बल्कि उसकी कहानी और एंटरटेनमेंट वैल्यू है।
राजनीति नहीं, कहानी बनी ताकत
फिल्म में भारत-पाकिस्तान संबंधों, खुफिया एजेंसियों की प्रतिद्वंद्विता और बलूचिस्तान जैसे संवेदनशील मुद्दों की झलक जरूर मिलती है, लेकिन ये फिल्म का केंद्र नहीं बनते। आम दर्शक ने इन पहलुओं को नजरअंदाज कर फिल्म को उसकी कहानी, संगीत और प्रस्तुति के लिए पसंद किया। यही वजह है कि धुरंधर किसी एक विचारधारा में बंधी नहीं लगती, बल्कि एक स्वतंत्र सिनेमाई अनुभव देती है।
एक नई राह दिखाती धुरंधर
Dhurandhar Film सिर्फ एक हिट फिल्म नहीं, बल्कि यह संकेत है कि भारतीय सिनेमा अब नए रास्तों पर चलने को तैयार है। Gangster Musical जैसे प्रयोग यह बताते हैं कि दर्शकों का स्वाद बदल रहा है और वे जोखिम लेने वाले कंटेंट को भी अपनाने लगे हैं।
यह फिल्म आने वाले समय में कई निर्देशकों को प्रेरित कर सकती है कि वे भी तयशुदा ढर्रे से हटकर सोचें। धुरंधर ने साबित कर दिया है कि अगर कहानी में दम हो, तो वह भाषा, सीमा और जॉनर की दीवारें तोड़ सकती है।





