लखनऊ | राज्य डेस्क: बिजली के निजीकरण, इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025, स्मार्ट प्रीपेड मीटर और न्यूक्लियर एक्ट के विरोध में बिजली कर्मचारियों, ट्रेड यूनियनों और किसान संगठनों ने देशभर में व्यापक विरोध प्रदर्शन किया। इस आंदोलन का नेतृत्व नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों और संयुक्त किसान मोर्चा के संयुक्त तत्वावधान में किया गया।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के अवसर पर उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी 24 दिसंबर को प्रदेश के सभी जनपदों में व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे।
देशभर में सड़कों पर उतरे बिजली कर्मी और किसान
आज हुए विरोध प्रदर्शनों में उत्तर प्रदेश में प्रस्तावित बिजली निजीकरण को रद्द करने की मांग प्रमुख रही। जम्मू, श्रीनगर, हैदराबाद, तिरुवनंतपुरम, कोलकाता, रांची, पटियाला, हिसार, देहरादून, नागपुर और जबलपुर सहित कई बड़े शहरों में बिजली कर्मचारियों, किसानों और ट्रेड यूनियनों ने जोरदार प्रदर्शन किए।
इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 पर कड़ा विरोध
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश के केंद्रीय पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि न्यूक्लियर जैसे अति संवेदनशील क्षेत्र में निजी कंपनियों को प्रवेश देने वाला शांति बिल निजी कंपनियों के दबाव में लाया गया है, जो देशहित के खिलाफ है।
संघर्ष समिति का कहना है कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2025 के जरिए केंद्र सरकार देश के पूरे विद्युत वितरण क्षेत्र का निजीकरण करना चाहती है। इस बिल के तहत निजी कंपनियों को सरकारी वितरण नेटवर्क का इस्तेमाल करने की छूट मिलेगी, जबकि वे केवल मुनाफे वाले क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति करेंगी। इससे कृषि और गरीब उपभोक्ताओं वाला घाटे का क्षेत्र सरकारी वितरण कंपनियों पर रह जाएगा, जिससे ये निगम आर्थिक रूप से कमजोर हो जाएंगे।
इसके अलावा, बिल में सब्सिडी समाप्त करने का प्रावधान भी शामिल है, जिससे बिजली दरें बढ़ने और किसानों व गरीब उपभोक्ताओं के लिए बिजली महंगी होने की आशंका जताई जा रही है।
गरीब जिलों पर पड़ेगा सबसे बड़ा असर
संघर्ष समिति ने बताया कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत प्रदेश के 42 सबसे गरीब जिले आते हैं। इन क्षेत्रों के निजीकरण से सबसे ज्यादा असर गरीब उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।
स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर नाराज़गी
बिजली कर्मचारियों ने उपभोक्ताओं की सहमति के बिना जबरन लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटरों पर भी आपत्ति जताई। समिति का कहना है कि इससे आम जनता में भारी आक्रोश है और कर्मचारी उपभोक्ताओं के हित में इसका विरोध कर रहे हैं।
391वें दिन भी जारी रहा आंदोलन
बिजली निजीकरण के खिलाफ चल रहा यह आंदोलन आज 391वें दिन में प्रवेश कर चुका है। इस अवसर पर प्रदेश के सभी जनपदों में बिजली कर्मियों ने व्यापक विरोध प्रदर्शन किया।
लखनऊ में प्रदर्शन का समय और स्थान
24 दिसंबर को राजधानी लखनऊ में अपराह्न 01 बजे, अपर श्रम आयुक्त कार्यालय, ए.पी. सेन मार्ग पर प्रदेश स्तरीय विरोध प्रदर्शन आयोजित किया जाएगा।





