नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान केंद्र सरकार ग्रामीण रोजगार से जुड़ा एक बड़ा और अहम विधेयक लोकसभा में पेश करने की तैयारी में है। यह विधेयक देश की सबसे बड़ी रोजगार योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लेने वाला है। सरकार की ओर से प्रस्तावित इस नए कानून का नाम है ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’।
इस विधेयक को लेकर सरकार ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर 15 से 19 दिसंबर तक लोकसभा की कार्यवाही में अनिवार्य रूप से मौजूद रहने को कहा है। ऐसे में यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर G RAM G क्या है, इसका फुल फॉर्म क्या है और मनरेगा की तुलना में इसमें क्या-क्या बदलाव किए जा रहे हैं।
G RAM G का फुल फॉर्म क्या है?
G RAM G का पूरा नाम है—
विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)
अंग्रेज़ी में इसे
Viksit Bharat – Guarantee for Employment and Livelihood Mission (Rural)
कहा जा रहा है। सरकारी दस्तावेजों में इसे संक्षेप में VB G RAM G नाम दिया गया है।
सरकार का दावा है कि यह नया कानून विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है।
मनरेगा की जगह नया कानून क्यों?
मनरेगा साल 2005 में बना था और 2006 से पूरे देश में लागू हुआ। पिछले लगभग 20 वर्षों में यह योजना ग्रामीण गरीबों, मजदूरों और महिलाओं के लिए आय का सबसे बड़ा सहारा रही है। लेकिन सरकार का कहना है कि बदलते समय, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और विकास की जरूरतों को देखते हुए अब एक नए ढांचे की आवश्यकता है।
अगर नया विधेयक संसद के दोनों सदनों से पारित हो जाता है और राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है, तो मनरेगा अधिनियम, 2005 को पूरी तरह रद्द (Repeal) कर दिया जाएगा और उसकी जगह G RAM G लागू होगा।
नया कानून क्या-क्या बदलेगा? (ABCD में समझें)
A – रोजगार के दिनों में बढ़ोतरी
मनरेगा के तहत ग्रामीण परिवारों को साल में 100 दिन के रोजगार की कानूनी गारंटी मिलती थी। नए विधेयक में इसे बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रस्ताव है। सरकार का कहना है कि इससे ग्रामीण परिवारों की आय में सीधा इजाफा होगा।
B – विकसित भारत 2047 से सीधा जुड़ाव
G RAM G को सीधे विकसित भारत 2047 के विज़न से जोड़ा गया है। इसके तहत ग्रामीण सड़कों, जल संरक्षण, तालाब, बागवानी, ग्रामीण बुनियादी ढांचे और सामुदायिक विकास कार्यों पर अधिक फोकस किया जाएगा।
C – कानूनी ढांचे में बदलाव
मनरेगा को एक अधिकार आधारित कानून माना जाता था, जिसमें काम मांगने पर सरकार को 15 दिन के भीतर रोजगार देना अनिवार्य था। नए कानून में रोजगार की गारंटी तो दी जा रही है, लेकिन मजदूरी दर, काम के नियम और राज्यों की भूमिका को लेकर कई बातें अभी स्पष्ट नहीं हैं। इन नियमों को केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर तय करेंगी।
D – नाम और पहचान में बड़ा बदलाव
नए विधेयक में महात्मा गांधी का नाम हटाया जाना सबसे बड़ा और विवादित मुद्दा बन गया है। सरकार का तर्क है कि यह बदलाव व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए किया जा रहा है, जबकि विपक्ष इसे गांधी की विरासत को कमजोर करने के रूप में देख रहा है।
संसद में पेश होने की क्या स्थिति है?
इस विधेयक की प्रतियां पहले ही लोकसभा सांसदों को दी जा चुकी हैं। सरकार चाहती है कि इसे मौजूदा शीतकालीन सत्र में ही पारित कराया जाए। अगर ऐसा होता है, तो देश की ग्रामीण रोजगार व्यवस्था में यह अब तक का सबसे बड़ा बदलाव होगा।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, यह कानून केवल मजदूरी आधारित रोजगार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि आजीविका और कौशल आधारित ग्रामीण विकास की दिशा में भी काम करेगा।
विपक्ष क्यों उठा रहा सवाल?
नया विधेयक पेश होने से पहले ही राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सवाल उठाया है कि सरकार आखिर महात्मा गांधी के नाम को क्यों हटा रही है। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा हैं और उनके नाम को हटाना समझ से परे है।
विपक्ष का आरोप है कि सरकार एक मजबूत और कानूनी अधिकार देने वाली योजना को कमजोर कर सकती है।
आगे क्या होगा?
अब सबकी नजर संसद की बहस और मतदान पर टिकी है। सरकार इसे सुधार और विस्तार बता रही है, जबकि विपक्ष इसे मनरेगा की आत्मा पर हमला कह रहा है। असली असर तब सामने आएगा, जब G RAM G ज़मीन पर लागू होगी और यह देखा जाएगा कि क्या यह वाकई ग्रामीण मजदूरों की जिंदगी को बेहतर बना पाती है या नहीं।





