उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले से शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा एक गंभीर और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। जिले के विकासखंड हिलौली में कथित तौर पर बिना वैध मान्यता या तय सीमा से अधिक कक्षाएं संचालित करने वाले स्कूलों को लेकर एक लिखित शिकायत सामने आई है, जिसके बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। यह मामला अब एक शिक्षा अपराध (Education Crime) के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि इसमें सीधे तौर पर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ का आरोप लगाया गया है।
सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद को भेजी गई शिकायत
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह शिकायत माध्यमिक शिक्षा परिषद, उत्तर प्रदेश, प्रयागराज के सचिव को भेजी गई है। शिकायतकर्ता रामनरेश राठौर, निवासी ग्राम भाटी, जिला उन्नाव ने अपने हस्ताक्षरयुक्त प्रार्थना पत्र में आरोप लगाया है कि हिलौली विकासखंड में कई प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल ऐसे हैं, जो अपनी स्वीकृत मान्यता से अधिक कक्षाएं संचालित कर रहे हैं।
शिकायत पत्र में यह भी कहा गया है कि संबंधित खंड शिक्षा अधिकारी (BEO) और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा इन स्कूलों को संरक्षण दिया जा रहा है, जिससे यह अवैध गतिविधियां लंबे समय से चल रही हैं।

शिकायत में किन स्कूलों का हुआ उल्लेख?
शिकायत पत्र में कुल 9 स्कूलों के नाम दर्ज हैं, जिन पर आरोप है कि वे अपनी मान्यता की शर्तों का उल्लंघन कर रहे हैं। इनमें कुछ स्कूल कक्षा 5 तक की मान्यता होने के बावजूद कक्षा 10 या 12 तक पढ़ाई करवा रहे हैं, जबकि कुछ जूनियर हाईस्कूल अपनी स्वीकृत सीमा से आगे संचालन कर रहे हैं।
शिकायतकर्ता के अनुसार,
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कुछ स्कूलों को केवल प्राथमिक स्तर (कक्षा 5 तक) की अनुमति है,
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लेकिन वे कक्षा 10 या 12 तक बच्चों का नामांकन कर रहे हैं,
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जिससे छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
“बच्चों का भविष्य अंधकार में डाला जा रहा है”
प्रार्थना पत्र में साफ शब्दों में लिखा गया है कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो इन स्कूलों में पढ़ रहे छात्रों का शैक्षिक भविष्य बर्बाद हो सकता है। अवैध रूप से संचालित कक्षाओं की मान्यता भविष्य में मान्य न होने की स्थिति में छात्र न तो बोर्ड परीक्षा दे पाएंगे और न ही आगे की पढ़ाई कर सकेंगे।
शिकायतकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि अधिकारियों की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर यह सब संभव नहीं है।
जांच और सख्त कार्रवाई की मांग
शिकायत पत्र के अंत में मांग की गई है कि
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संबंधित स्कूलों की तत्काल जांच कराई जाए,
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अवैध रूप से संचालित कक्षाओं को बंद कराया जाए,
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और जिन अधिकारियों द्वारा संरक्षण दिया गया है, उनके खिलाफ कठोर विभागीय कार्रवाई की जाए।
पत्र में यह भी कहा गया है कि शिक्षा जैसे संवेदनशील क्षेत्र में इस तरह की लापरवाही सीधे तौर पर अपराध की श्रेणी में आती है।
शिक्षा विभाग की भूमिका पर उठे सवाल
यह मामला सामने आने के बाद स्थानीय स्तर पर शिक्षा विभाग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। अगर आरोप सही पाए जाते हैं, तो यह न केवल नियमों का उल्लंघन होगा, बल्कि सरकारी तंत्र की बड़ी चूक भी मानी जाएगी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अभिभावक अक्सर मान्यता और नियमों की बारीकियों से अनजान होते हैं, जिसका फायदा उठाकर कुछ निजी स्कूल संचालक मनमानी कर रहे हैं।
अब आगे क्या?
फिलहाल यह शिकायत आधिकारिक रूप से उच्च अधिकारियों तक पहुंच चुकी है। यदि माध्यमिक शिक्षा परिषद या जिला प्रशासन द्वारा जांच के आदेश दिए जाते हैं, तो आने वाले दिनों में हिलौली विकासखंड के कई स्कूलों पर कार्रवाई संभव मानी जा रही है।
यह मामला अब सिर्फ एक प्रशासनिक शिकायत नहीं, बल्कि उन्नाव में शिक्षा व्यवस्था से जुड़ा एक बड़ा Crime बनता जा रहा है, जिसमें बच्चों के भविष्य, सरकारी जिम्मेदारी और कथित भ्रष्टाचार—तीनों सवालों के घेरे में हैं।





